हिंदी-उर्दू की चर्चा में हिंदी के लिए जीने-मरने वाले लेखक -पत्रकार-कवि शहरोज़ अक्सर आनंद नारायण मुल्ला का इक शे'र दुहराते हैं:
हिंदी और उर्दू में फर्क सिर्फ है इतना
हम देखते हैं ख्वाब वे देखते हैं सपना
ब्लॉग की दुन्या से मैं अनजान था, शहरोज़ ने ही अपने हमज़बान पर मेरी इक ग़ज़ल पोस्ट की , तो मेरा भी मन इस तरफ हो आया.यूँ आँखों में अक्सर शिकायत रहती है. लेकिन बच्चों की मुहब्बत की वजह्करआपलोगों के बीच आ गया हूँ.
5 comments:
aapka shkrguzaar hoon.
aapne hamare blog ka link bhi de diya hai.
Fixe!
उर्दू-हिन्दी ब्लाग के इस ईज़ाफ़े के लिए शुक्रीया।
सुंदर आपका स्वागत् है
मेरे ब्लॉग पर पधार कर कविता का आनद लें
एक अच्छा इन्सान ही ऐसे बातें करता है
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